लेखनी प्रतियोगिता - लेखिका
लेखिका.
ऊपर से हंसमुख और खिली खिली सी,
अंदर से बहुत घुट रही थी, वो..
आस पास जो हो रहा था घटित,
उससे बहुत ज्यादा निराश थी, वो..
कैसे बताए, अपना हाल ए दिल,
नही समझ पा रही थी, वो..
भावनाओं के उमड़ते ज्वार को,
संभाल नहीं पा रही थी,वो..
बनाया कागज़,कलम को साथी अपना,
उन संग अपने मनोभाव बांटने लगी थी, वो..
कभी अच्छा तो कभी औसत,
मगर कुछ कुछ लिखने लगी थी, वो..
शब्दों में पिरो, अपने अहसास,
खुल के व्यक्त करने लगी थी, वो..
धीरे धीरे, समय के साथ साथ,
खुद को पहचानने लगी थी, वो..
जो कुछ किया था उसने महसूस,
कागज़ों पर उतारने लगी थी, वो..
एक सफल लेखिका के रूप में,
अपनी नई पहचान अब बना चुकी थी,वो..
प्रियंका वर्मा
15/9/22
Abhinav ji
17-Sep-2022 08:44 AM
Very nice👍
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Milind salve
17-Sep-2022 08:36 AM
बहुत खूब
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